5160वीं गीता जयंती आज: विश्व का इकलौता ग्रंथ जिसकी मनाई जाती है जयंती, भगवान श्रीकृष्ण के मुख से हुआ है गीता का उदय …

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

गीता जयंती, हिंदू धर्म में एक ऐसा अद्भुत और पवित्र पर्व है, जो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह श्रीमद्भगवद्गीता के प्रकट होने की जयंती है। गीता, जो केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू का मार्गदर्शन करने वाली अमूल्य धरोहर है, इस वर्ष अपनी 5160वीं जयंती मना रही है।

महाभारत के युद्ध के दौरान, जब अर्जुन धर्मसंकट में पड़ गए और युद्ध के मैदान में अपने कर्तव्यों को लेकर असमंजस में थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया। यह उपदेश न केवल अर्जुन के लिए, बल्कि समस्त मानवता के लिए एक प्रकाशस्तंभ के समान है। इस दिव्य संवाद में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म, धर्म, भक्ति, और ज्ञान का ऐसा सार दिया, जो हर युग और हर परिस्थिति में प्रासंगिक बना रहा है।

गीता को विश्व का इकलौता ऐसा ग्रंथ माना जाता है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। इसे भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकले दिव्य वचन माना जाता है। इसीलिए इसे “भगवद्गीता” कहा गया है। यह 18 अध्याय और 700 श्लोकों में जीवन के सभी रहस्यों और समस्याओं का समाधान प्रदान करती है।

बता दें, गीता जयंती के दिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्त विशेष अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं। भगवद्गीता का पाठ किया जाता है, भक्ति संगीत गाए जाते हैं, और श्रीकृष्ण के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण और गीता के संदेशों को आत्मसात करने के अवसर के रूप में देखा जाता है। गीता जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाले दिव्य ज्ञान की स्मृति का दिन है। यह हमें याद दिलाती है कि जीवन में सच्चा सुख और सफलता केवल धर्म, कर्तव्य, और आत्मज्ञान के मार्ग पर चलकर ही पाया जा सकता है। भगवान श्रीकृष्ण के इस अनमोल उपहार को समझना और अपने जीवन में उतारना ही गीता जयंती का सच्चा अर्थ है।

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